मंगलवार, 30 अगस्त 2011

vaebhavta ka pradrshan?

  $$$$वैभवता का नंगा प्रदर्शन?%%%
मन घूम रहा था ,ऊपर वाले को ढूंढ़ रहा था,
   मनएक भव्य वैवाहिक समारोह में,
   इंसानियत को पूछ रहा था?
 हंगामी सी थी पार्टी ?
वैभवता का नंगानाच देख रहाथा?
नेत्र फैले आत्मा चोंकीविवेक से उलझी ?
 यह क्या?एक और भयानक दरिद्रता ?
एक एक नेवले को तरसता जीवन?
 बचपन,जवानी,,बुढ़ापा अभाबों  में जीता ?
एक और जीबंत  दरिंदगी ?
  औरजितना खाना  उससे कई गुना ज्यादा फेकना?  
एक और तन ढापने  को चिंदी नही ?
  किसी किसीका एक एक वस्त्र,
   उस गरीब की जिन्दगी भर की कमाई सेभी ज्यादाकीमती?
  एक की जिन्दगी विधाता की भूल होती?
    एक कीजिन्दगी ऐश का, वहशी पंन का तालमेल?
    एक का  वस्त्र परिधान लाखों करोड़ों का,
 महज नंग धडंग काया पे चिंदीचिपड़ी,
पीठ सारीखुली हुई, जाघें वस्त्रविहीन सी,
   परिधान मेंसेअंग वस्त्र झांक रहे ?
     वस्त्र परिधान,महज़ नंग सी कायालपेटे फैशन  शो ?
       एक को तनढापने सपनों में भी चिंदीक्या?
   ऐसीफटी लंगोटी  भी नसीब में लिखीनहीहोती?
 सिसकता सबेरा ,परेशान दोपहरी,खीजती शाम 
,न कटने वाली रातें ?
\आये दिनमुंह  तकती  भूख ,बेबसी से  मोतें?

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