शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

smay privrtan?

|||||||||||बदला परिवेश?||||||||||
हिन्दू बाहुबली देश हिंदुस्तान , आज अल्प संख्यक सा दिखता है?
हिन्दू संगठन आपस में लड़ झगड़ रहे ,शंकराचार्य भी दुसरे धर्मोंका ,
समर्थक बना बना सा लगता?दुसरे धर्मों की वकालत करता है?
कल तक हम हीरो थे आज क्रिमिनल हो गये? 
लोभ लालच ने हमे भरमाया, हमारा जमीर भी विका विका सा लगता है? 
साम्प्रदायिकता का भूतहमारे लोगों नही पैसा दलाली खा जगा मारा ?
हमारी आत्मा पे भारी वजन धरा धरा सा लगता है?
मिशनरियां जहर भर रहीं? संरक्षक हमारे अपने हैं ?
दलित आदिवासियों को फांस रहीं?अपनी माँ को हम ही गाली देते ?
हमारा अपना कोई वजूद नही?हमारा जमीर भी बिका बिका सा लगता है?
मुग़ल संक्राति हम तमंगे  चिपका रहे?आतातायियोंको हीरो बता रहे?
आक्रमण-  कारी  विध्वंस  कारी देश के सरमायेदार बनाये जारहे?प
प्र जातंत्र की नीव को,भ्रष्टाचारियों ने, काले धन के जमा कर्ताओं  ने,
हिला के रख दिया?समय का परिवर्तन शील,
विदेशी मानसिकता में हम सब  रंगे  जारहे?
हिन्दू शब्द हमे गाली सा लगता?
हम सेक्युलर  वाद का मतलब नही जानते?अपने धर्म का मतलब नही जानते?
अपने हिन्दू धर्म को भूल गये हैं?हम कूट नीति का एक शब्द नही जानते?
  हमलोग अपने ही धर्म को झुठला  रहे हैं?निर्मोही हमे क्या हो गया है?
हम ये  नही जानते की देश से बड़ा कुछ भी नही है ?