"""""""नारी बेबसी?|||||||||
नारी कितनी बेबस हो गई
नारी बेबसी का फायदा उठाते हैं लोग?
नारीअबला है नारीआसक्त है?
नये नयेरोज़ झिलाते हैंलोग?
क्या लाये थे ,क्या ले जाओगे,
मन काधन कितना भी कर लो,
सब यहीं छोड़ जाओगे?
यह कभी सोच न पाते दहेज़ पिपासु लोग?
दहेज़ कीभूख कभी शांत नही होती,
कैसा लगाते तृष्णा का रोग?
नारीसर्वस्य बलिदान देती आई,
फिर भी लोगों को नहीहोता संतोष ?
नारी के जीवन कलहआम बात होगई,
कियूं कीससुराली लोग लिखते जबरन जोग संयोग
जला देते ,फांसी पे लटका देतेया जहर दे मार देते ?
उनके ह्रदयहीन पत्थर दिल में नहीं होतीकोई रोकटोक ?
जालिम,हत्यारे बन जाते हैवानियत ,
वहशी दरिंदों सा दिखाते जोश?
ईश्वरी आस्था खत्म कर हैवानों ने?
नारी कोमजमा लगाते कई लोग
माँ बाप का घर छोड़क्यानोकरानी बनआती ?
जो रोज दहेज़ की फहरिस्त पकड़ते जाते
नहीपूर्तिस्वार्थों नाजायज मांगों कीहोती,
जीते जी वंश वेळ बढती,
गर कन्या पैदा उसने करदी,
सारीनिर्ममता की सीमाए लाँघ,
कई सासें ,ननद,जेठानी ,भाभी ,जेठ,
ससुर ,पति इनमे से कोईभी ,किसी मेंभी मानोशैतान की आत्मा घर कर अपना रूप दिखाती
पुलिस ,न्याय कीदेवी भी फैसला नही कर पाती
निर्मोही सरेआम पैसे में दबाब में विक जाती?